सतना।।(बरौंधा) रिपोर्ट सतेंद्र कुमार श्रीवास्तव — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है स्वस्थ भारत समृद्ध भारत बने। वैसे केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्रयासरत हो एवं स्वास्थ्य संबंधित ग्रामीण अंचल में तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा रही हूं लेकिन शासन के नुमाइंदे पानी फेरते नजर आ रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरौंधा में देखा जा सकता है। जहां मेडिकल ऑफिसर के पद पर डॉक्टर विकास सिंह पदस्थ है लेकिन अस्पताल आते हैं तो सिर्फ एक माह में उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करने।
सतना जिले के मझगवां तहसील अंतर्गत बरौंधा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ मेडिकल आफीसर विकास सिंह के मनमानी का दंश झेल रहा मध्य प्रदेश का तराई अंचल बता दें कि मध्यप्रदेश का सतना जिला उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से लगा हुआ है वही बॉर्डर से सटा हुआ इलाका बरौंधा है जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है लगभग सैकड़ों गांव जुड़े हुए हैं इन गांवो के लोगो का प्राथमिक उपचार के लिए शासन से एक मात्र बरौंधा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जहां पर 24 घण्टे सातों दिन प्रसव सेंटर है जहां डाक्टर के न रहने पर नर्सों को प्रसव कराने में भारी दिक्कतें होती न सही तरीके से जांच हो पाती है कई नवजात शिशु अपनी दम तोड़ चुके हैं सही उपचार न होने से इतना बस नहीं दिन भर में बीमारी से ग्रसित सैकड़ों मरीज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चक्कर लगाते हैं किसी तरह डाक्टर साहब से मुलाकात हो जाए
जिससे उनकी बीमारी का सही इलाज हो सके महीनों महीनों भर पदस्थ डॉ विकास सिंह के दर्शन नहीं होते जिससे कई मरीजों के बीमारी से दम घुटते रहते हैं कई मरीज झोला छाप डॉक्टर के शिकार हो जाते हैं सही उपचार न होने से दुनिया को अलविदा कह देते हैं।
जगह-जगह बिखरा पड़ा कचरा
अस्पताल परिसर के अंदर बालों में सुविधाओं के बेड के नीचे एवं बाहर जगह जगह कचरा बिखरा पड़ा रहता है हर जगह गंदगी का आलम है।
प्रसूताओं को चद्दर तक नसीब नहीं
अस्पताल के वार्ड में देखा गया कि प्रसूताओं को बेड में बिछाने के लिए एक चद्दर तक नसीब नहीं हो रहा वेड में बिना चद्दर के ही प्रसूताओं को लेटना पड़ता है और ना ही उन्हें कंबल मिलता
बिना डॉक्टर और बिना जांच के कैसे होता होगा प्रसव यह एक बड़ा सवाल है
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरौंधा बीमांक सेंटर भी है जहां 24 घंटे प्रसव सुविधा उपलब्ध है लेकिन सिर्फ नाम के लिए। अब सबसे बड़ा सवाल यह है की जब यहां डॉक्टर आते ही नहीं और कोई लैब टेक्नीशियन भी नहीं है तो फिर बिना डॉक्टर और बिना जांच के सुरक्षित प्रसव कैसे होता होगा।
15 से 20 दिन में आते हैं मेडिकल ऑफिसर
कई बार ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी पीएचसी की सुविधाओं पर सुधार नहीं हो पा रहा है। कहने का मतलब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरौंधा भगवान भरोसे चल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पदस्थ डॉक्टर विकास सिंह 20 दिनों में अस्पताल के चक्कर लगाते हैं और उपस्थिति रजिस्टर में पूरे माह के हस्ताक्षर करके चले जाते हैं।
कई बार ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी नहीं हो रहा सुधार
बताया गया कि इस पीएचसी में प्रसव को लेकर आने वाली ग्रामीण महिलाओं की बिना जांच के ही प्रसव कराया जाता है जो किसी खतरे से कम नहीं है ग्रामीणों का कहना है कि इस संबंध में मझगवां बीएमओ को 26 फरवरी को आवेदन भी दिया गया था लेकिन इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है जो गंभीर बात है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरौंधा भगवान भरोसे चल रहा है, यहां पर कागजों में डॉ. विकास सिंह पदस्थ है जो 15-20 दिन मे सिर्फ हस्ताक्षर करने पहुंचते हैं। लगभग सैकड़े भर गांव की ग्रामीणों की महिलाओं का प्रसव विना जांच के होता है जिससे जच्चा बच्चा दोनों को खतरा रहता है। इस संबंध मेे मझगवा बीएमओ को 26 फरवरी को आवेदन मेरे द्वारा दिया गया था पर अभी तक इस संबंध पर साहब द्वारा कुछ पहल नहीं की गई।
राजाराम यादव, आप जिला संगठन सचिव सतना