नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 15 राज्यों की 56 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए अब तक उम्मीदवारों की जो लिस्ट जारी की है उसे देखकर लगता है कि पार्टी ने इस चुनाव के जरिए लोकसभा चुनाव पर भी फोकस किया है। राज्यसभा लिस्ट के लिए पार्टी की ओर से काफी होमवर्क किया गया है। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा समेत दूसरे राज्यों की लिस्ट में सामान्य कार्यकर्ताओं से लेकर पार्टी के बड़े नेताओं को मौका दिया गया है।
केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद जिस पैटर्न पर चुनाव हुए उसमें एक बात ऐसी है कि सिर्फ पार्टी के उन बड़े नेताओं को ही राज्यसभा टिकट नहीं मिलेगा जो लोकसभा चुनाव हार गए हैं। पिछले कुछ राज्यसभा चुनाव के उम्मीदवारों में कई बार तो ऐसे नाम सामने आए जिसको लोग घंटों इंटरनेट पर सर्च करते रहे। इस बार भी जो लिस्ट सामने आई है उससे एक बात क्लियर है कि पार्टी अपने कई नेताओं को इस बार लोकसभा चुनाव के मैदान में उतार सकती है। इनमें कुछ बड़े नेता हैं जिनको लेकर कहा जा रहा था कि उन्हें राज्यसभा का टिकट मिलेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके साथ ही कांग्रेस को भी कमजोर करने की कोशिश पूरी तरह से की गई है।
जिनकी चर्चा नहीं उनको बीजेपी ने इस बार दिया मौका
ऐसा लगता है कि जिला और मंडल स्तर तक राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी पहुंच रही है। पार्टी के कुछ ऐसे नेताओं पर भी दांव लगाया है जो विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़े हैं। कुछ ऐसे नेता हैं जो विधानसभा का चुनाव भी हार चुके हैं। यूपी से अमरपाल मौर्य, संगीत बलवंत, साधना सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। अमरपाल मौर्य रायबरेली के ऊंचाहार से विधानसभा चुनाव लड़े थे लेकिन वह हार गए। संगीता बलवंत गाजीपुर से विधायक रह चुकी हैं लेकिन पिछला चुनाव हार गईं थीं। साधना सिंह जिला उद्योग व्यापार मंडल चंदौली की अध्यक्ष हैं। बिहार से राज्यसभा सीट के लिए धर्मशीला गुप्ता को चुना गया है। उन्होंने कहा कि वह बिहार के भागलपुर में एक कार्यक्रम में व्यस्त थीं तभी उन्हें फोन पर इसकी जानकारी मिली। शुरू में उन्हें लगा कि कोई मजाक कर रहा है और कॉल काट दिया। गुजरात की डायमंड सिटी के प्रतिष्ठित हीरा कारोबारी गोविंद ढोलकिया राज्यसभा जाएंगे। बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है। गोविंद ढोलकिया पिछले महीने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की थी, तब वह सुर्खियों में आए थे। उन्होंने राम मंदिर के लिए 11 करोड़ रुपये की धनराशि दान की थी।
इन नेताओं को इस बार लोकसभा चुनाव में उतार सकती है बीजेपी
केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया और पुरुषोत्तम रूपाला (गुजरात), केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (महाराष्ट्र) का भी कार्यकाल पूरा हो रहा है। हालांकि पार्टी की ओर से इन नेताओं की राज्यसभा के लिए उम्मीदवारी की घोषणा नहीं की गई है। ऐसी चर्चा है कि पार्टी इन्हें लोकसभा चुनाव लड़ा सकती है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी पार्टी द्वारा उच्च सदन के लिए फिर से नामित नहीं किया गया है। हालांकि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में शिक्षा मंत्री को उनके गृह राज्य ओडिशा से मैदान में उतार सकती है। पार्टी सूत्रों ने कहा है कि प्रधान, रूपाला और मांडविया के अलावा दो अन्य केंद्रीय मंत्रियों, भूपेंद्र यादव और राजीव चंद्रशेखर को भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बना सकती है। इनमें से किसी को राज्यसभा के मौजूदा दौर के लिए फिर से नामित नहीं किया गया है। प्रधान और यादव दोनों ही राज्यसभा के दो कार्यकाल पूरे कर रहे हैं जबकि चंद्रशेखर का यह तीसरा कार्यकाल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व में सुझाव दिया था कि राज्यसभा सदस्यों को कम से कम एक प्रत्यक्ष चुनाव लड़ने का अनुभव मिलना चाहिए। पार्टी में एक राय उभरकर सामने आई है कि अधिक से अधिक केंद्रीय मंत्रियों को लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए, खासकर उन्हें जो राज्यसभा में कम से कम दो कार्यकाल पूरे कर चुके हों।
राज्यसभा चुनाव के जरिए कांग्रेस को चोट पहुंचाने की तैयारी
बीजेपी ने महाराष्ट्र से अशोक चव्हाण को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस में लगभग चार दशक बिताने वाले चव्हाण एक दिन पहले ही मंगलवार को भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने सोमवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। इसी प्रकार बीजेपी ने आरपीएन सिंह को भी यूपी से राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। आरपीएन सिंह जनवरी 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। उसके बाद से ही उनके राज्यसभा में जाने की चर्चा चल रही थी। वह कांग्रेस और गांधी परिवार के करीबी माने जाते थे। उनको राहुल ब्रिगेड का हिस्सा माना जाता था। इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर एनडीए में आए कुछ और कांग्रेसी नेताओं को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया है। इनमें महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेता मिलिंद देवड़ा हैं जो हाल ही में शिवसेना में शामिल हुए थे। उन्हें शिवसेना ने राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। इसी प्रकार प्रफुल्ल पटेल को अजित पवार गुट ने राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। वह शरद पवार के काफी करीबी रहे हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी की ओर से कांग्रेस पर करारी चोट की गई है।
जाति समीकरण का भी रखा गया है पूरा ध्यान
यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश इन राज्यों के अलावा दूसरे राज्यों में जाति समीकरण का भी पूरा ध्यान रखा गया है। मध्य प्रदेश की लिस्ट देखें तो उमेश नाथ महराज, उज्जैन के वाल्मीकि आश्रम के प्रमुख पुजारी हैं। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)और बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के करीबी माने जाते हैं। माया नरोलिया, मध्य प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं और ओबीसी समुदाय से आती हैं। बंसीलाल गुर्जर, मंदसौर से आते हैं, वर्तमान में भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। बीजेपी महाराष्ट्र में किसान और ब्राह्मण समुदाय को साधने की कोशिश कर रही है। अशोक चव्हाण, उनके नामांकन को कोई आश्चर्य नहीं है क्योंकि ये उस डील का हिस्सा माना जाता है जो उन्होंने भाजपा में शामिल होने के समय की थी। मेधा कुलकर्णी, पुणे से भाजपा की जानी-मानी ब्राह्मण चेहरा हैं। वो 2014-2019 तक कोथरुड विधानसभा सीट से विधायक रहीं और अब भाजपा महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष हैं। अजीत गोपचड़े, मराठवाड़ा के नांदेड़ जिले से आते हैं और लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।