भोपाल।।मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेशवासी के लिए उत्तम सुख, निरोगी काया के संदेश को चरितार्थ करने के साथ राज्य सरकार मन की शांति, बुद्धि के विकास और आत्मिक आनंद के लिए भी कार्य कर रही है। तीर्थ-दर्शन योजना आत्मा के आनंद के लिए पुनः शुरू की गई है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आत्मा के आनंद के साथ, जीवन को सुखमय बनाने के लिए पौध-रोपण, नशा मुक्ति, बेटियों का सम्मान और पानी बचाना जरूरी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान रानी कमलापति स्टेशन से मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना का शुभारंभ कर तीर्थ-यात्रियों को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शंख और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित गीत की ध्वनि के बीच, कन्या-पूजन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यात्रा में वरिष्ठ जन की सेवा के लिए राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त व्यवस्था की गई है। उन्हें किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होने दिया जाएगा। वर्ष 2012 में राज्य सरकार ने तीर्थ-यात्रा कराने के बारे में निर्णय लिया था। यह वरिष्ठ जन की भावना और उनकी मांग का सम्मान था।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर भी तीर्थ-यात्रियों के साथ वाराणसी जा रही हैं। यात्रा में वरिष्ठ जन के भोजन, विश्राम और सम्मान के साथ दर्शन की व्यवस्था की गई है। पति-पत्नी साथ तीर्थ-यात्रा पर जा सकें, यह व्यवस्था भी योजना में है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अब आरंभ हुई तीर्थ-दर्शन योजना रूकेगी नहीं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि तीर्थ-दर्शन जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। अब तीर्थ के लिए एक के बाद एक यात्राओं का क्रम जारी रहेगा।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि “पहला सुख निरोगी काया” माना गया है। इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने निःशुल्क टीकाकरण की व्यवस्था की है। साथ ही गरीबों को आवास भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जिन लोगों ने अवैध तरीके से जमीनों पर कब्जा किया है, उनसे भूमि मुक्त करा कर, गरीबों को बाँटी जा रही है। चिकित्सा सुविधा तथा आवास की व्यवस्था कर, उत्तम सुख निरोगी काया के भाव को मूर्त रूप दिया जा रहा है।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जीवन में मन की प्रसन्नता आवश्यक है। इसके लिए आनंद उत्सव आयोजित किए जा रहे हैं। बुद्धि के विकास के लिए स्कूल शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा की बेहतर व्यवस्था की जा रही है। इन सबके साथ ही आत्मा का सुख सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। आत्मा दूसरों का भला करने से प्रसन्न रहती है। आत्मा का सुख भगवान के दर्शन से भी प्राप्त होता है। वरिष्ठ जन को यह सुख देने के लिए ही तीर्थ-दर्शन योजना पुनः आरंभ की गई है। तीर्थ-यात्रा में भजन मंडली की व्यवस्था की गई है। यात्रा को आनंद से पूर्ण करें, भक्ति भाव से दर्शन करें। तीर्थ-यात्रा से आने के बाद परिचितों को यह संदेश अवश्य दें कि धरती बचाने के लिए पौधा-रोपण जरूरी है। सभी लोग पौधा अवश्य लगाएँ।मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि तीर्थ-यात्रा से आकर नशा नहीं करने का संदेश देना भी आपका कर्त्तव्य है। अपने आसपास वालों को नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करें। साथ ही बेटों के समान बेटियों को सम्मान देने का प्रण लें। बेटी बोझ नहीं वरदान बने, हमें यह कोशिश करना है। हमें इस प्रकार के संस्कार देना हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पानी बचाने में भी आपका हर संभव सहयोग आवश्यक है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने काशी विश्वनाथ की यात्रा के लिए ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रेलवे स्टेशन पर तीर्थ-यात्रियों को तुलसी की माला पहना कर स्वागत किया गया। ढोल-ढमाकों के बीच तीर्थ-यात्रियों ने फूलों से सजी ट्रेन में प्रवेश किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ट्रेन में पूजा-अर्चना की तथा ट्रेन में बैठे सभी तीर्थ-यात्रियों से व्यक्तिगत रूप से जाकर भेंट की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने तीर्थ-यात्रियों श्रीमती बल्लो बाई, श्रीमती कमला बाई, श्रीमती लीला बाई, श्रीमती रामकली बाई, श्रीमती इमरत बाई, श्रीमती सावित्री बाई, श्रीमती रूकमणी बाई, श्रीमती राधा बाई, श्रीमती गंगी बाई और श्रीमती मकुवंर बाई को शाल, श्रीफल और तुलसी की माला भेंट कर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने तीर्थ-यात्रियों के साथ ‘‘राम भजन सुखदाई’’ भजन भी गाया। पहली तीर्थ-दर्शन यात्रा में भोपाल और सागर संभाग के 974 यात्री सम्मिलित हैं। तीर्थ-यात्री काशी विश्वनाथ के दर्शन के साथ संत रविदास और संत कबीरदास जी के जन्म स्थल के दर्शन भी करेंगे। तीर्थ-यात्रियों को यात्रा से लौटते समय भगवान विश्वनाथ का स्मृति-चिन्ह भेंट किया जाएगा। यात्रा में तीर्थ-यात्रियों की सुविधा के लिए भोजन, नाश्ता, चाय के साथ गंतव्य पर रूकने और बसों द्वारा आने-जाने की व्यवस्था की गई है। यात्रियों की सुरक्षा की व्यवस्था के साथ ट्रेन में स्वास्थ्य परीक्षण के लिए डॉक्टर भी उपलब्ध हैं।