मानो या ना मानो : बाबा साहब अंबेडकर की जयंती के मौके पर जब एक भिखारी ने मुझसे भगवान के नाम पर कुछ देने के लिये कहा

बाबा साहब अंबेडकर की जयंती के मौके पर जब एक भिखारी ने मुझसे भगवान के नाम पर कुछ देने के लिये कहा तो उसकी मदद करने से पहले मैंने उससे पूछा – – –

किस भगवान की बात कर रहे हो ,
ऊपर वाले भगवान की या फिर नीचे वाले की ?

कुछ देर तक तो वह मुझे एकटक निहारता रहा

फिर धीरे से उसने पूछा … क्या नीचे धरती पर भी भगवान रहने लगे है ?

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हाँ . हां क्यों नही विल्कुल रह रहे है ,

यह कहकर मैं जेब मे पड़ी चिल्लर को टटोलने लगा

अच्छा … कहां रहते है ,
यह कहते हुये उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया

धरती के भगवान पार्लियामेन्ट मे रहते है ,
क्या कभी उनसे तुम्हारी मुलाकात नही हुई ?
उसे मेरी बातों मे मजा आने लगा था ।

नही , कभी देखा नही है और वैसे भी कभी किसी ने बताया भी नही है कि देश की पार्लियामेन्ट मे भी भगवान रहते है
यह कहकर वह वहीं पर बैठ गया ।

अब मैने धरती के भगवानो के बारे मे उसे विस्तार से बतलाना शुरु किया ……

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देखो भाई
ये कलयुग के भगवान है और पिछले पचहत्तर सालों से यहाँ इसी देश मे रह रहे है

इसलिये अब जल्दी से तुम यह बतला दो कि तुम्हें किस भगवान के नाम पर दान चाहिये ?

शायद वह तय नहीं कर पा रहा था कि दान के लिये किस भगवान का सहारा ले ,

लिहाजा इस कम मे मैंने उसकी मदद करते हुये कहा देखो….

ऊपर वाला भगवान यहाँ से करोड़ों मील दूर रहता है जबकि धरती के भगवान ग्राम पंचायतो से लेकर देश की राजधानी तक मे भरे पड़े है

अब फटाफट तय कर लो कि किसके नाम पर तुम्हे खैरात चाहिये

वह कुछ देर तक आंख बंद करके सोचता रहा इसके बाद उसने मुझसे जानना चाहा कि इन नीचे ऊपर के देवताओं मे उसके लिये ज्यादा उपयोगी कौन होगा ?

मैने सरल भाषा मे उसे समझाया ….देखो जो जहाँ है वह अपने इलाके मे असरदार है इसलिये अब फटाफट बतला दो कि तुम किसके नाम पर भीख चाहते हो

चलिये आप नीचे वाले भगवान के नाम पर ही मुझे कुछ दे दीजिये और यह कहकर उसने फिर से मेरे सामने अपना हाथ बढा दिया
ठीक है …चलो किसी एक लोकल भगवान का नाम लो – – – और यह कहने के बाद मै चार आने से लेकर 10 रूपये तक के सिक्को को अपनी- हथेली पर सजाकर खड़ा हो गया
उसने हथेली पर पड़ी रेजगारी को ललचाई नजरो से देखा और पूछा कि ये सारे पैसे आप मुझे दे देंगे
दे भी सकता हूँ लेकिन यह सब तुम्हारे जवाब पर निर्भर करेगा
अच्छा – – कहकर वह कुछ सोचने लगा
मैंने उसे फिर टोका , क्या कर रहे हो यार … मुझे देर हो रही है जल्दी से किसी एक का नाम क्यो नही ले लेते हो
उसने फटाक से कहा – – – मोदी जी
मैं उसके जवाब से हैरान था दरअसल धरती के चुनिंदा देवताओं का मैने मूल्य तय कर रखा था।

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और वह मोदी जी का नाम लेकर दान की सबसे बड़ी रकम का हकदार बन गया था
मैंने उसे दस रूपये का सिक्का थमाया और आगे बढ़ गया तभी उसने मुझे आवाज देकर रोक लिया …उसने मुझसे जानना चाहा कि यदि वह और किसी का नाम लेता तब उसे कितना मिलता
मैंने उसे कुछ और न पूछने की हिदायत देते हुये सिर्फ़ इतना ही कहा कि – – – सही पकड़े हो मोदी हैं तो मुमकिन है।

अशोक शुक्ला,वरिष्ठ पत्रकार

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