बिहार के शिक्षा मंत्री के बिगड़े बोल,विंध्य की धरा का किया अपमान : मैहर विधायक

सतना(SATNA)।। मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस को अपवित्र ग्रंथ बता बिहार के शिक्षा मंत्री ने विंध्य की पवित्र धरा का अपमान किया है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि यह वह धरती है जहां श्री राम भगवान श्री राम बने इसी पवित्र धरा में मर्यादापुरुषोत्तम कहलाये, गोस्वामी तुलसीदास जी ने महान ग्रंथ की रचना की।

भगवान श्रीराम ने इसी धरा से निसाचारो के सर्वनाश की प्रतिज्ञा ली। माता अनसुइया ने भगवान को बालस्वरूप में लाकर गोद मे खिलाया। जहाँ सरभंगा आश्रम,अगस्त मुनि का आश्रम,मंदाकनी जैसी पवित्र नदी कलरव करती हो बिहार के मंत्री के ये बोल उन सब का घोर अपमान करते है।श्री त्रिपाठी ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने किसी जाति पर कभी प्रहार नही किया उन्होंने कर्म को प्रधनता दी है। व्यक्ति के कर्मो के आधार पर ही उन्हें बांटा गया रावण प्रकांड पंडित था किंतु उसके कर्म अच्छे नही थे जिसकी बदौलत वह प्रभू श्री राम के हाथों मारा गया। यह भारत भूमि हमेशा से कर्म प्रधान रही है।

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और यहां कर्म की प्रधानता के आधार पर ही व्यक्ति को स्थान मिला। यही हमारी मनु स्मृति भी सिखाती है मनु स्मृति में भी कर्म को ही प्रधान बताया गया है। जाति के आधार पर तो बिहार के शिक्षा मंत्री जैसे लोगो ने अपने राजनैतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए समाज को बांटने का कार्य किया। संत रविदास जी आज पूरे देश मे सभी जातियों के बीच पूजे जाते है अपने कर्मो की बदौलत,रहीम रसखान आज पूरे देश मे अपने कर्मो की बदौलत जाने पहचाने जाते है।

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गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस मनुवाद पर बेतुका प्रहार करना मंत्री के बड़बोलेपन को दर्शता है। ऐसे जिम्मेवार पदों पर बैठे लोगों का ये बचकाना प्रहार ओछी मानसिकता का परिचायक है जिसकी चहुओर निंदा की जानी चाहिए। राजनैतिक लाभ के लिए ऐसी बयानबाजी पर भी रोक लगनी चाहिए जिससे जिम्मेवार तोलमोल के बोले। यह भारत भूमि कर्म प्रधान थी और आगे भी कर्म की ही प्रधनता रहेगी।

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