खुशियों की दास्तां : बाल कल्याण समिति के प्रयास से नवजात को 14 माह बाद मिला मां का आंचल

सतना।।सतना जिले की बाल कल्याण समिति के निरंतर प्रयासों से नवजात शिशु जयदीप को 14 महीने बाद उसकी जननी मां का आंचल नसीब हुआ है। मंगलवार को बाल कल्याण समिति के दफ्तर में शिशु जयदीप को उसकी मां को सौंपने की प्रक्रिया में वात्सल्यमय अत्यंत ही भावुक वातावरण हो गया। जब 14 महीने के बाद स्वयं के जन्मे बच्चे को गोद में पाकर उसकी मां खुशी से फूट-फूट कर रो रही थी। तो वहीं 14 महीने तक अपनी संतान की तरह पालन पोषण करने वाली मातृछाया की अर्चना बच्चे के बिछड़ने के गम में आंसू बहा रही थी।

प्रथम जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मैहर श्री प्रशांत शुक्ला द्वारा बाल कल्याण समिति के आवेदिका माता-पिता के नवजात बालक को वापस सौंपने के संबंध में प्राप्त किए गए मार्गदर्शन अनुसार अध्यक्ष बाल कल्याण समिति राधा मिश्रा ने 14 माह के जयदीप को उसकी जननी मां के आंचल में सौंपने की औपचारिकताएं पूर्ण की।यह कहानी शुरू होती है 12 नवंबर 2021 को मैहर से लगे जीतनगर से, जहां झाड़ियों में लावारिस हालत में एक नवजात शिशु को ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस ने बरामद किया। मैहर पुलिस ने नवजात शिशु को जिला अस्पताल भेजते हुए बाल कल्याण समिति को सूचना दी।

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नवजात के झाड़ियों में मिलने के ठीक 5 दिन बाद मैहर पुलिस के पास एक नवयुवक-युवती ने खुद को बच्चे का माता-पिता बताते हुए उन्हें उनका बच्चा सौंपने का निवेदन किया। पुलिस भी हैरत में रही कि आमतौर पर नवजात बच्चा मिलने पर उस पर अपना दावा जताने कोई नहीं आता। युवक के साथ पहुंची युवती ने पुलिस को बताया कि हम आपस में प्रेम करते हैं, शादी भी करना चाहते हैं, लेकिन सामाजिक दबाव से नहीं कर पा रहे। समाज में बदनामी और लोक लाज के डर से 11 नवंबर को जन्मे बच्चे को कपड़े में लपेट इस हालत में रखना पड़ा। युवक-युवती को क्रूरता अधिनियम के तहत सजा भी हुई। सजा से रिहा होकर दोनों ने विवाह भी कर लिया। बच्चे के जैविक माता-पिता द्वारा न्यायालय और बाल कल्याण समिति को नवजात बालक दिलाए जाने के प्रस्तुत आवेदन पर नवजात बालक और उसके जैविक माता-पिता का डीएनए टेस्ट मैच हो जाने पर बाल कल्याण समिति को नवजात बालक के सर्वोत्तम हित के संबंध में स्वविवेक से कार्यवाही किए जाने का न्यायालय से मार्गदर्शन प्राप्त होने पर बाल कल्याण समिति ने 14 माह के नवजात को उसके जैविक माता-पिता के सुपुर्द कर दिया है।

बदले में माता-पिता से बालक के हितों की सर्वोत्तम रक्षा किए जाने का अनुबंध पत्र लिया गया है और पाक्षिक रूप से बाल कल्याण समिति के सदस्य बालक की कुशलक्षेम की वीसी या भौतिक माध्यम से निगरानी करेंगे।शिशु को उसके जैविक माता-पिता को सौंपते समय जिला बाल संरक्षण अधिकारी सौरभ सिंह, सहायक संचालक महिला बाल विकास श्याम किशोर द्विवेदी, बाल संरक्षण अधिकारी अमर सिंह, बाल कल्याण समिति की सदस्य जान्हवी त्रिपाठी, रेखा सिंह, उमा श्रीवास्तव, चंद्रकिरण श्रीवास्तव तथा मातृछाया संस्था के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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