एमपी हाई कोर्ट (MP High Court) ने नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई (CBI) को सौंप दी है। आज मामले की सुनवाई के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल के सचिव और एमपी के डाइरेक्टर मेडिकल एजुकेशन कोर्ट में उपस्थित हुए। मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी उससे पहले सीबीआई को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
ग्वालियर चंबल संभाग में हुए फर्जीवाड़े की जांच अब सीबीआई करेगी। एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior High Court) ने आज बुधवार को इसके आदेश दे दिए। मामला ग्वालियर चंबल संभाग के 35 नर्सिंग कॉलेजों में हुए फर्जीवाड़े से जुड़ा हुआ है। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने प्रदेश में सत्र 2019-20 में 520 कालेजों को संबद्धता दी थी। इन कालेजों में ग्वालियर के 35 कालेज भी शामिल हैं। 35 में से केवल एक कालेज की संबद्धता के रिकार्ड की जांच कराई गई।
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अतिरिक्त महाधिवक्ता ने रिकार्ड की जांच कर गड़बड़ियां हाई कोर्ट में बताई हैं। अब संबद्धता के पूरे मामले को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया है। आज ग्वालियर हाई कोर्ट की डबल बैंच में इस मामले की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश सरकार के डाइरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और इंडियन नर्सिंग काउंसिल के अधिकारी एवं सीबीआई के अधिकारी उपस्थित हुए।
अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी ने बताया कि हाई कोर्ट ने 35 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इन कॉलेजों के पास मान्यता नहीं थी, इन्होंने गलत एडमिशन दिए। कोर्ट ने कहा कि जनवरी के सप्ताह में इसकी सुनवाई होगी और सीबीआई रिपोर्ट सौंपेगी।
उन्होंने कहा कि सीबीआई इन 35 नर्सिंग कॉलेजों में हुई गड़बड़ियों की जाँच करेगी। इन कॉलेजों के पास बुनियादी जरुरी सुविधाएँ नहीं थी फिर भी एडमिशन दिए और उसे लीगलाइज करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका भी लगाई थी।
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बहरहाल अब इस ममले में सीबीआई जाँच पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और दोषी कॉलेज संचालकों के खिलाफ कार्यवाही होगी लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जिन बच्चों ने इन 35 नर्सिंग कॉलेजों में पढ़कर सर्टिफिकेट और डिग्री ली उनके भविष्य का क्या? उनकी डिग्री या सर्टिफिकेट की मान्यता नहीं होने से उन्हें नौकरी नहीं मिलेगी और यदि नौकरी मिल भी गई तो वे अपने अधकचरे ज्ञान से किसी मरीज की जान से खिलवाड़ भी कर सकते हैं।