Success Story :अरुण द्विवेदी ने रचा नया इतिहास, शहद व्यवसाय से हर साल कमा रहे 14 लाख से ज्यादा, सपने को धरातल पर कैसे किया साकार..?

रीवा।। आत्मनिर्भर भारत अभियान को बखूबी अंजाम देते मध्यप्रदेश के रीवा जिले के बैकुंठपुर नगर,ग्राम पिपरी के अरुण प्रसाद (मधुमक्खी पालक), यह एक सफल उद्यमी मधुमक्खी पालक की कहानी है, जिसने अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की सोच से मधुमक्खी पालन में जुट गये। अपनी मेहनत और लगन के साथ मधुमक्खी पालन कर पहले मधुमक्खी पालक बनकर मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश दोनों राज्यों का गौरव बढ़ा रहे है।

मध्यप्रदेश के रीवा जिले से 25 किलोमीटर दूर बैकुंठपुर कस्बे में पिपरी गांव के मधुमक्खी पालन कर अपनी स्वयं की ब्रांड बना व्यापार कर रहे है। जी हां, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के मधुमक्खी पालक बन कर दोनों राज्यों का गौरव बढ़ा रहे है। 50 बॉक्स के साथ शुरुआत करने वाले अरुण प्रसाद ने कहा कि भारत के नेशनल बी बोर्ड मंत्रालय नई दिल्ली से संस्था द्वारा मधुमक्खी पालन में 1 महीने का प्रशिक्षण प्राप्त करके मधुमक्खी पालन की शुरूवात की है।

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श्री अरूण प्रसाद ग्राम पिपरी बैकुंठपुर, विकास खंड सिरमौर, जिला रीवा के निवासी है। अपने जीवन में कई सारे प्राइवेट काम करने के बाद, उन्होंने कृषि को उत्तम समझा दूसरों के लिए प्रेरणा बननें की सोची ताकि स्वयं के साथ-साथ गांव के ही नही बल्कि जिले और प्रदेश में किसानो और प्रदेश की जनता के लिए भी आदर्श स्थापित कर सकें।श्री अरूण प्रसाद अपनी आगे की बातों में बताते है की उन्होंने काफी कुछ सोचा समझा और उसके बाद मधुमक्खी पालन करने और शहद का व्यवसाय करना अपने लिए उचित पाया।

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जिसको वे अब आसानी से अपने गांव पिपरी में कर रहे है। जहाँ अच्छे अच्छे लोग मधुमक्खियों से दूर भाग जाते है वहाँ , अरुण प्रसाद मधुमक्खियां के साथ दोस्त की तरह रहते है , अरुण प्रसाद मधुमक्खी पालन के साथ-साथ खुद ने मार्केटिंग की जिम्मेदारी भी उठाने का सोचा, इसके लिए उन्होने कृषि विज्ञान केन्द्र, रीवा से कुमार विकास सेवा संस्थान द्वारा दिए जाने वाला 7 दिवस का मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया और मधुमक्खी पालन की मूल बातें सीखीं और अपना व्यवसाय शुरू किया।

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भविष्य में, वह मधुमक्खियों से शहद के अलावा परागकण, वेनम, रायल जेली का उत्पादन करने और शहद आधारित सौंदर्य प्रसाधन बनाने और विपणन करने की योजना बना रहे है।श्री अरूण प्रसाद भी किसानो के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गये हैं, यह देखकर अन्य किसान भाई को भी आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वरोजगार में लाने के लिए इनके द्वारा जिले के कई बड़े किसान भाई जुड़कर मधुमक्खी पालन का आपसे प्रशिक्षण लेकर मधुमक्खी पालन कर रहे।

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