सतना।। ऐ के एस की कृषि संकाय में आज से मोटे अनाजों की खेती के तरीके, बीज उत्पादन, कीट एवम रोग , विपणन, मूल्यसवर्धन पर प्रशिक्षण दिया जायेगा। पूरा विश्व में मिल्लेट्स अंतर्राष्ट्रीय वर्ष २०२३ के रूप में मनाया जा रहा है इसमें ऐ के एस के तरफ से छोटी सी पहल की गई है।
इस कार्यक्रम में अलग अलग वैज्ञानिक के द्वारा प्रशिक्षण दिया जायेगा साथ इस कार्यक्रम में किसान भाई , शोध छात्र भी शामिल होंगे मुख्यधारा के अनाजों के विपरीत, मोटे अनाजों की खेती के लिए कम कीटनाशक और उर्वरक की आवश्यकता होती है।
वे कम पानी की मांग करते हैं और बंजर मिट्टी में अच्छी तरह से फिट हो जाते हैं, जिससे वे समुदायों और किसानों के लिए कम जोखिम वाली फसल बन जाती हैं। मोटे अनाज हमारी खेती और हमारे भोजन की विविधता बढ़ाते हैं। मोटे अनाजों के प्रति सजगता बढ़ाना इस आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। लोग और संस्थाएं, दोनों ही बड़ा प्रभाव छोड़ सकते हैं। संस्थाओं के प्रयास से मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सकता है और समुचित नीतियां अपनाकर इनकी फसल को फायदेमंद बनाया जा सकता है। लोग भी स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हुए मोटे अनाजों को अपने आहार में शामिल करके इस पृथ्वी के अनुकूल विकल्प चुन सकते हैं। कृषि संकाय के सभी सदस्य को विश्वास है की 2023 में मोटे अनाजों के अंतरराष्ट्रीय वर्ष का यह आयोजन सुरक्षित, टिकाऊ और स्वस्थ भविष्य की दिशा में एक जनआंदोलन को जन्म देगा। यह पहल आर.एस. कृषि शोध संस्थान और एकेएस विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होगी।
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