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  • Satna News :UPSC टॉपर भटनवारा गांव की बेटी स्वाति शर्मा का भटनवारा गांव में हुआ स्वागत सम्मान

    सतना।। दुनिया के सबसे कठिन कॉम्पटीशन एग्जाम UPSC में टॉप कर सम्पूर्ण देश में जिले सहित भटनवारा गांव का नाम रोशन करने वाली यूपीएसी टॉपर स्वाति शर्मा दूसरी बार अपने गांव भटनवारा पहुची भटनवारा गेट से सड़क मार्ग होते हुए वे गांव आई जहां बड़ी संख्या में लोगों ने ढोल-नगाड़े बजाकर, फूल बरसाकर उनका स्वागत किया।

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    वही भटनवारा पहुचते ही निवर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष डॉ रश्मि सिंह ने साल श्रीफल और पुष्पगुछ भेंट कर सम्मान किया,

    वही ग्रामीणों ने यूपीएसी टॉपर स्वाति शर्मा का फुल माला पहनाकर स्वागत सम्मान किया, इसके बाद सुश्री स्वाति शर्मा ने माँ कालिका के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

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    इसमें स्वागत कार्यक्रम में राजीव रंजन सिंह, अशोक सिंह, राजेन्द्र प्रताप सिंह, अजय सिंह परिहार, राजकुमार सिंह(दद्दा), पुरुषोत्तम सिंह, नीरज सिंह, कृपाशंकर जायसवाल, राजकुमार सिंह, रमण शर्मा, उमेश पांडेय, सत्यव्रत त्रिपाठी, दिग्विजय सिंह, राजा यादव,रामसुखी यादव, बालेन्द्र यादव, विकास सेन आदि ग्रामवासी शामिल रहे।

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  • नवरात्रि विशेष: सूर्य की दिशा के साथ घूमती हैं मां की आंखें, बदलते हैं चेहरे के भाव,अनिष्ट होने पर मूर्ति से निकलता है पसीना, भटनवारा देवी की मौर्यकालीन मूर्ति का रहस्य

    सतना,मध्यप्रदेश।।मध्य प्रदेश के सतना जिले में देवी मां की एक ऐसी प्रतिमा भी है, जो सूर्य के दिशा बदलने की साथ वह अपनी आंखें घूमा लेती हैं। जी हां, सूर्य की दिशा के संग आंखों को घुमाने वाली यह प्रतिमा जिला मुख्यालय से तकरीबन 13 किलोमीटर दूर भटनवारा गांव में स्थापित है। 

    पुजारी प्रभात शुक्ला ने बताया कि भटनवारा की देवी को मां कालिका के रूप में जाना जाता हैं। यह मूर्ति करीब 600 साल पुरानी बताई जाती है। पहले यह मूर्ति गांव के नजदीक से बहने वाली करारी नदी के किनारे स्थापित कराई गई थी। आज जहां है यहां 70 के दशक में स्थापित की गई थी। खास बात यह है कि मां के नेत्र सूर्य की दिशा के साथ परिवर्तित होते हैं। यह परिवर्तन पूर्व से पश्चिम की ओर होता है। पुनीत ने बताया कि मां के चेहरे के भाव में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। वह कभी वात्सल्य, कभी रौद्र तो कभी एकदम शांत भाव में दिखती हैं। 

    तब के राजा को नदी किनारे मिली थी मूर्ति
    भटनवारा की मां कालिका के बारे में मान्यता है कि तब के राजा मनह सिंह को यह मूर्ति करारी नदी के किनारे मिली थी। तब उन्होंने नदी के किनारे एक छोटा सा मंदिर बना कर स्थापित करने का प्रयास किया था लेकिन कहते हैं मां उस मंदिर में नहीं घुस पाईं। अंत में बिना मंदिर के ही मां की मूर्ति नदी किनारे रखी रही। इसके बाद 70 के दशक में यहां लाई गई।

     कई बार आए पुरातत्व विभाग के अधिकारी
    मां कालिका की मूर्ति के बारे में ग्रामीण एक दूसरे से जो कुछ सुनते आ रहे हैं उसी आधार पर बताते चले आ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह मूर्ति मौर्य- शुंग वंश कालीन है। ग्रामीण बताते हैं कि कई बार पुरातत्व विभाग के अधिकारी लोग यहां आए हैं। उन्होंने बताया था कि यह मूर्ति यक्षिणी है। 

    रिपोर्ट जयदेव विश्वकर्मा 9584995363

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