Shawl Style :भारत की विरासत को दर्शाते हैं ये 6 शॉल, आप भी इन्हें अपने फैशन स्टाइल में करे शामिल

Shawl Style :भारत के परिधानों की बात करें तो इसमें कला के साथ-साथ विरासत का ताना-बाना भी नजर आता है। अगर सर्दियों की बात करें तो इस मौसम के फैशन में शॉल एक जरूरी चीज है। चाहे आप वेस्टन पहनें या भारतीय शॉल, यह हर पोशाक के साथ अच्छा लगता है।

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अक्सर जब हम शॉल की बात करते हैं तो कश्मीर के पश्मीना का ही जिक्र होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विरासत की दृष्टि से पश्मीना के अलावा अन्य शॉल भी अपना स्थान रखती हैं। तो आइए जानते हैं अलग-अलग राज्यों के शॉल के बारे में जो आपके फैशन और स्टाइल में चार चांद लगा देंगे।

पश्मीना शॉल

Pashmina Shawls Style

कश्मीर की पशमीना शॉल की तो ग्लोबल लेवल पर अपनी एक पहचान है। यह शॉल जितनी गर्म होती है उतनी ही खूबसूरत भी। इसकी खासियत इसकी सॉफ्टनेस है। 15वीं सदी के बाद से इस शॉल को एक पहचान मिली जो आज तक कायम है। यह शॉल काफी महंगी होती है और इसकी वजह है कि यह तीन च्यांगुरी भेड़ों के ऊन से हाथ से बनाई जाती है। इसे बनाने का तरीका भी काफी पेचीदा है। मुगलों के जमाने में अपने खास दरबारियों को बादशाह अकबर पश्मीना की शॉल तोहफे में देते थे। यह सच में आज भी भारत की एक कीमती सौगात है। बस जब भी आप पश्मीना शॉल लें उसकी जीआई टैगिंग देखना न भूलें। ऐसा इसलिए क्योंकि नकली पश्मीना भी बाजार में धड़ल्ले से बेचा जाता है।


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कुल्लू शॉल

जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह शॉल हिमाचल प्रदेश के कुल्ल की है। ज्योमैट्रिकल पैटर्न और ब्राइट कलर इस शॉल की पहचान है। 1940 के बाद यह शॉल ज्यादा चलन में आए। इन शॉलों में फूलों का डिजाइन भी अपनी एक खासियत लिए होता है। इसमें ज्यादा से ज्यादा 8 रंग शामिल होते हैं। कुल्लु शॉल भी पश्मीना की तरह हाथ से बुने जाते हैं। यह यहां की महिलाओं की आय का एक प्रमुख स्रोत है। ये बिहांग, ऑस्ट्रेलियाई मेरिनो टॉपस्, अंगोरा जैसी बकरियों की ऊन से बनाई जाती हैं। इसके रंगीन डिज़ाइन धर्म, परंपराओं, स्थानीय दर्शनों आदि पर आधारित होते हैं। कह सकते हैं कि यह कपड़े पर हिमाचल प्रदेश की संस्कृति का एक दस्तावेज है।

नागा शॉल

Naga Shawls Style

नागालैंड की अपनी एक संस्कृति और परिभाषाएं हैं। नागा शॉल की बात करें तो इसके डिजाइंस बहुत अलग होते हैं। अपनी इसी खासियत की वजह से यह इंटरनेशनल लेवल पर भी काफी फेमस हैं। ये शॉल परंपरागत अनुष्ठान में पहने जाने वाले शॉल हैं, जो आम तौर पर नागालैंड में कई स्थानीय लोगों द्वारा पहने जाते हैं। ये शॉल आपको केवल लाल, काले और नीले रंग में ही मिलेंगे। इन पर बने चित्र नागालैंड की लोक कथाओं और उनकी संस्कृति को चिह्नित करते हैं। इस शॉल में भाला और स्ट्राइप्स का डिजाइन होता है।


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कलमकारी शॉल

आंध्र प्रदेश की कपड़े पर की जाने वाली कला को पिछले कुछ सालों से बहुत पसंद किया जा रहा है। इसके फैब्रिक के साथ-साथ इसकी शॉल भी बहुत मशहूर है। इसमें हाथ से या ब्लॉक से डिजाइन डाला जाता है। ये डिज़ाइन श्रीकलाहस्ति और मछलीपट्टनम शैली के होते हैं और धार्मिक विषयों पर आधारित होते हैं। यह डिजाइन दिखने में बहुत सुुदर और एलिगेंट होते हैं।

ढाबला शॉल

Dhabla Shawl

ढाबला शब्द से अर्थ है कच्छ की रबारी और भरवाड जाती के लोगों द्वारा धारण की जाने वाली ऊनी कम्बलनुमा शॉल। वैसे तो गुजराती संस्कृति रंग रंगीली है। लेकिन यह गुजराती शॉल डिज़ाइन में काफ़ी सादा होती है और अधिकतर सिर्फ सफ़ेद और काले रंग की बनी होती है। यदि इनमें एनी रंग शामिल भी हों तो वे केवल कोनों तक ही सीमित होते हैं और बीच का कपड़ा बिलकुल सादा होता है। इसमें एंब्रायडी होती है। इसके अलावा गुजरात के अजरक के शॉल भी काफी मशहूर हैं। इसके ज्योमैट्रिकल और फ्लोरल पैटर्न की बात ही अलग है। इसकी ब्लॉक प्रिंटिंग और नेचुरल डाइज का कोई मुकाबला नहीं।

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मूंगा शॉल

सिर्फ असम की सिल्क की साड़ी नहीं असम की सिल्क की मूंगा शॉल का भी कोई मुकाबला नहीं। इसे आप अपने कलेक्शन में शामिल करें। आप इसे किसी वेडिंग में पहन सकती हैं। इसकी चमक अलग ही होती है। यह सुनहरी सिल्क से बनाई जाती है। यह अपनी ड्यूरेबिलिटी की वजह से भी जानी जाती है। सबसे बड़ी बात है इसका फैशन कभी पुराना नहीं होता।

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