सतना में पुलिस की लापरवाही से हत्या और डकैती के दोषी प्रमोद कुशवाह को आजीवन कारावास की सजा होने के बाद भी जेल से छूटकर फरार घोषित कर दिया गया। पुलिस 13 साल तक उसके वारंट पर कार्रवाई नहीं कर पाई, जबकि वह दूसरे मामलों में जेल में ही बंद था।
सतनाः मध्य प्रदेश के सतना में पुलिस की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। हत्या और डकैती जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम देने वाला प्रमोद कुशवाह हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा होने के बाद भी जेल से छूटकर गायब हो गया। ऐसा हम नहीं पुलिस के रिकॉर्ड कह रहे हैं।
पुलिस 13 साल तक उसके वारंट पर कार्रवाई नहीं कर पाई। इस दौरान वह दूसरे मामलों में पकड़े जाने के बाद जेल में ही बंद था। प्रमोद कुशवाहा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में डकैती, हत्या और अपहरण जैसी 23 वारदातों में शामिल रहा है। उसके चार साथी सतना जेल में हत्या के ही मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस दौरान प्रमोद अन्य मामलों में गिरफ्तार होने के बाद जेल में ही बंद था। लेकिन पुलिस ने पुराने वारंट पर ध्यान नहीं दिया।
जेल में रहकर भी फरार आरोपी
सतना की मझगवां पुलिस के रिकॉर्ड में प्रमोद अभी भी फरार है। पुलिस ने उसे सितंबर 2013 में एक मामले में गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में बंद था। जेल में झगड़ा होने के कारण उसे 22 अप्रैल 2025 को सतना से भोपाल जेल भेज दिया गया। पुराने मामलों में रिहाई होने के बाद, वह 9 मई 2025 को जेल से छूटकर सतना पहुंचा और फिर गायब हो गया। मझगवां पुलिस का कहना है कि प्रमोद हत्या के मामले में अभी भी फरार है। हैरानी की बात यह है कि अदालत से सजा सुनाए जाने के बाद वह जेल में बंद तो रहा, लेकिन इस मामले में वह जेल में रहकर भी फरार ही रहा।
इस मामले में हुई सजा
यह मामला डकैती और हत्या से जुड़ा है। 27 मई 2006 को रामविशाल चौधरी नाम के एक व्यक्ति रेलवे के मुकद्दम के पद से रिटायर हुए थे। वह पुराना खैर चितहरा गांव के रहने वाले थे, जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है। 28 मई 2006 की रात लगभग दो बजे प्रमोद कुशवाहा अपने साथियों सुखचैन कोल, राजकुमार, मिथलेश सिंह गौड़ और दादूलाल कोल के साथ रामविशाल चौधरी के घर पहुंचा।
बदमाशों ने रामविशाल चौधरी के बेटे बसंत के सीने में बंदूक रखकर गोली मार दी। उन्होंने परिवार के सदस्यों को धमकाया और पीटा। इसके बाद बदमाश 80 हजार रुपये की नकदी और जेवरात लूटकर भाग गए। इस मामले में न्यायालय ने 19 जुलाई 2011 को प्रमोद और उसके चार साथियों को डकैती और अपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। फैसले के दौरान प्रमोद फरार था। वर्ष 2013 में सतना पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी दिखाई थी। लेकिन मझगवां पुलिस ने जेल में रहने के बावजूद कभी हत्या के मामले का वारंट जेल में पेश नहीं किया। जबकि इस वारदात में शामिल अन्य आरोपियों को पुलिस पहले ही जेल भेज चुकी है।
कई मामले हैं दर्ज
प्रमोद काछी और उसके साथियों ने 23 जून 2013 को मारुतिनगर निवासी सुधीर कुमार पांडेय नाम के एक छात्र का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी थी। दिसंबर 2019 में द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश केएम अहमद ने पांचों बदमाशों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। प्रमोद अपने ही गांव के चूड़ामन प्यासी की हत्या के मामले में भी आरोपी रह चुका है। उस पर सतना और कटनी के थानों में कई मामले दर्ज हैं। मझगवां थाना प्रभारी आदित्य नारायण धुर्वे ने कहा कि पुलिस को पता है कि प्रमोद को सजा हुई थी, लेकिन फिर भी वह फरार है।