Singrauli : पावर प्लांटों में खपाया जा रहा नकली कोयला, सरकार को लग रही करोड़ों रूपये की चपत

सिंगरौली।। जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित बरगवां कोल साइडिंग से नकली कोयला पावर प्लांटों में खपाया जा रहा है। आये दिन लगने वाले रैक में तकरीबन 15 सौ टन का खेला हो रहा है। यह सब कुछ रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के नजरों के सामने कोयले का काला खेल किया जा रहा है। किन्तु आरपीएफ की नजरें उस दौरान ओझल हो जा रही हैं। कोयले के इस खेल से बिजली उत्पादन कंपनियों को महीने में करोड़ों रूपये की चपत पहुंचायी जा रही है और इस पूरे खेल में गोदावरी कोल कंपनी का नाम सामने आ रहा है।


दरअसल सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बरगवां रेलवे साइडिंग में इन दिनों नकली कोयले का खेला व्यापक पैमाने पर खेला जा रहा है। कथित आस-पास के स्टोन क्रेशरों से भस्सी एवं डस्ट का परिवहन कराकर रेलवे साइडिंग में डम्पिंग कराया जा रहा है। शाम ढलते ही कोयले में भस्सी मिलाकर मालगाड़ी के रैक में लोडिंग का कार्य शुरू हो जाता है। ब्लैक डायमण्ड का यह खेल कई महीनों से खेला जा रहा है, लेकिन रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स की नजरें अचानक ओझल हो जा रही हैं। सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि महीने में कम से कम 10 से 15 दिन रैक लगता है और एक रैक में 15 सौ टन भस्सी मिलाने का खेल किया जा रहा है।

यह बही पढ़े – MP : राज्य सरकार का पेंशनरों के हित में बड़ा फैसला,6वें वेतनमान में 12 और 7वें वेतनमान में 5 प्रतिशत की वृद्धि

गुणवत्तायुक्त एक टन कोयले की कीमत तकरीबन 10 हजार रूपये है। अनुमानत: एक रैक में करोड़ों रूपये का हेर-फेर कर पावर प्लांट कंपनियों को चपत लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। नकली कोयला यानी भस्सी व क्रेशरों से डस्ट मिलाने के लिए कारोबारी काफी आतुर रहते हैं और बिना किसी डर, भय के ब्लैक डायमण्ड के खेल में शामिल हैं। सूत्र बता रहे है कि बरगवां रेलवे साइडिंग में कोल लिफ्टिंग का काम गोदावरी कोल कंपनी को मिला हुआ है। कोल कंपनी के कर्ताधर्ता सांठ-गांठ बनाकर सरकार के खजाने में सेंधमारी करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

यह भी पढ़े – Satna : उपभोक्ता भंडार के 4 विक्रेताओं पर 3-3 हजार रुपये का अनुविभागीय अधिकारी ने किया अर्थदंड अधिरोपित

पावर प्लांट के कंपनियों में नकली मिलावटी कोयला भेजकर रोशनी को धुंध की तरह कार्य करने वाले रोशन को इसकी फिक्र कतई नहीं है बल्कि क्रेशरों से भस्सी एवं डस्ट मिलाने में खूब माहिर दिखाई दे रहा है। हालांकि यह पहली घटना नहीं है चर्चाओं के मुताबिक पहले छाई मिलाने का काम चल रहा था। जब यह बात सार्वजनिक हुई तो जिला प्रशासन ने एक्शन लेते हुए बड़ी कार्रवाई खनिज एवं राजस्व टीम के के द्वारा संयुक्त रूप से कार्रवाई की गयी थी। लेकिन कुछ दिनों बाद सिंडीकेट की तरह काम करने वाले कोल कारोबारियों ने अलग तरकीब निकाल लिया है।

इनका कहना है

अभी तक यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं था, यदि इस तरह की गड़बड़ी की जा रही है तो अधिकारियों की टीम स्थल पर भेजकर जांच करायी जायेगी।
अरूण कुमार परमार
कलेक्टर,सिंगरौली

Exit mobile version