सतना,अनुपम दाहिया।। गेहूं समेत अन्य रवि सीजन की बोनी में जुटे किसानों को अभी भी डीएपी और यूरिया के लिए भटकना पड़ रहा है। जिले में सरकारी गोदामों में डीएपी नहीं है पर अधिकारी सरकार पर डीएपी देने के लिए दबाव बनाने के स्थान पर यह साबित करने में पसीना बहा रहे हैं कि जिले में खाद की कोई किल्लत नहीं है। इसके लिए लगातार फर्जी आंकड़े परोसे जा रहे हैं और कुछ किसानों से भरपूर खाद मिल रही है के वीडियो बनाकर सब तरफ रामराज होना साबित किया जा रहा है।
जमकर हो रही कालाबाजारी – खाद वितरण से जुड़े सूत्रों का कहना है की अधिकारी मार्कफेड के गोदामों से खाद बिकवा रहे हैं तो उनके आधा दर्जन चहेते निजी विक्रेता खाद की काला बाजारी में लिप्त हैं। यहां उल्लेखनीय है की डीएपी की किल्लत को देखते हुए कृषि विभाग के पीएस ने मार्कफेड के डबललाक केंद्र में निजी विक्रेताओं से खाद बटवाने का आदेश दिया था। इसके बाद डीडीए कार्यालय में बनाए गए मार्कफेड के केंद्र पर 11 एवं 12 नवंबर को तीन निजी विक्रेताओं को भी बैठाकर डीएपी बटवाई गई। कलेक्टर से लेकर अन्य सभी अधिकारी निरीक्षण करने पहुंचे और फोटो सेशन कर मंत्रालय को भेज दिया गया।
इस दिन सिविल लाइन में पांच पीओएस मशीनों से खाद बटी पर पांचों में मार्कफेड की एक ही आईडी का उपयोग होने से सारी खाद मार्कफेड के गोदाम से उठी। सवाल यह भी है कि निजी विक्रेता का स्टॉक क्या कालाबाजारी के लिए छोड़ दिया गया। यही कारण है की आज जिले में निजी विक्रेता 1350 रुपए बोरी वाली डीएपी 1700 रुपए में बेच रहे हैं। आज की तारीख में मार्कफेड की गोदाम डीएपी से खाली है। सिर्फ 200 एमटी है पर वह अमानक है। अब तीन दिन बाद कोरोमंडल की 25 सौ एमटी डीएपी आ रही है पर इससे कुछ मात्रा पन्ना जिले को भी दिया जाएगा।
बिरसिंहपुर में क्यों बंद की जांच
अधिकारी किसानों की समस्या को किस तरह झुठलाने में लगे हैं इसका उदाहरण मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी के खाद की किल्लत को लेकर सरकार को भेजे गए पत्र के जवाब में जनसंपर्क कार्यालय द्वारा जारी किया गया किसानों के बयानों का वीडियो है। इसमें बिरसिंहपुर के बीज विक्रेता श्रीकान्त त्रिपाठी और दो अन्य व्यक्तियों द्वारा कहा गया है की किसानों को पर्याप्त खाद मिल रही है और वे अधिकारीयों की मेहनत से काफी खुश हैं।
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सूत्र बताते हैं की बीज विक्रेता के यहां एक दिन पहले ही कृषि विभाग के अधिकारियों ने जांच की थी लेकिन अगले ही दिन जांच वापस ले ली गई और उन्हें किसान बना दिया गया। बताते हैं कि इनकी पत्नी के नाम से सोहावल कृषक प्रोडूसर एफपीओ कृषि उपज मण्डी में व खुद के नाम से माधवगढ़ में खाद की दुकान शर्मा कृषि केंद्र संचालित है।