झाबुआ. प्रशासन द्वारा चाइनीज मांझे की खरीदी-बिक्री और उपयोग पर लगाया गया प्रतिबंध के कागजों में ही सिमट कर रह गया है। इसका उदाहरण है कि झाबुआ में एक युवती चाइनीज मांझे की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गई।उसके परिजन का कहना है प्रशासन जब अपने आदेश पर अमल ही नहीं करवा सकता तो फिर इस तरह के कागजी प्रतिबंध लगाने का क्या मतलब है?
दरअसल शहर के मारुति नगर में रहने वाली 23 वर्षीय युवती तोषिका चौहान स्कूटर पर अपने घर से राजवाड़ा चौक की तरफ जा रही थी। इस दौरान रास्ते में अचानक उसके मुंह के सामने चाइनीज मांझा आ गया। वह कुछ समझ पाती तब तक तो उसके होठ बुरी तरह से कट गए और खून बहने लगा। ऐसे में आसपास मौजूद लोगों ने परिजन को सूचना दी। इसके बाद तोषिका को जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद परिजन उसे घर ले आए। यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले पेटलावद और राणापुर क्षेत्र में भी इस तरह से चाइनीज मांझे की चपेट में आकर लोग घायल हुए, लेकिन प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया।
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22 दिसंबर को कलेक्टर ने जारी किए थे प्रतिबंध के आदेश
झाबुआ कलेक्टर रजनी ङ्क्षसह ने 22 दिसंबर को धारा 144 के तहत आदेश जारी करते हुए चाइनीज मांझे की खरीदी-बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। आदेश का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध धारा 188 के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई करने की बात भी कही थी। इसके बावजूद अब तक एक भी कार्रवाई नहीं हुई। पूरे जिले में धड़ल्ले से न केवल चाइनीज मांझा बेचा जा रहा है, बल्कि लोग पतंग भी उड़ाने में इसी धागे का इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरी तरफ प्रशासन के आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा है कि प्लास्टिक, सिन्थेटिक मटेरियल से निर्मित चायनीज, नायलोन मांझे पर प्रतिबंध रहेगा। कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थान, मार्ग, मकानों की छतों पर पतंग उड़ाने के दौरान चायनीज मांझे का उपयोग नहीं कर सकेगा।जिले के समस्त थोक व्यापारी और विक्रयकर्ता चायनीज मांझे का क्रय विक्रय नहीं कर सकेंगे।